मंदी - सरकार उपाय कर रहा है

वित्तीय वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में देश में आर्थिक विकास की दर नीचे गिरकर 5 प्रतिशत पर आ गईयह पिछले 25 तिमाहियों के दौरान दर्ज की गई विकास दर में सबसे कम है। अमेरिका एवं चीन के बीच व्यापार यद का आगाज जिसके चलते विश्व व्यापार में अस्थिरता आना, चीन द्वारा अपनी मद्रा का अवमल्यन किया जाना ताकि अमेरिका के साथ जारी व्यापार यद्ध से निपटा जा सके. देश में ब्याज दरों का समय पर कम नहीं किया जाना, मजदूरी की वृद्धि दर में मामूली बढोतरी होना, वाहनों की बिक्री में कमी आना. आदि। उक्त कारणों के चलते वित्तीय सेवाएँ, रियल एस्टेट एवं व्यावसायिक सेवाओं की वृद्धि दर में तो भारी कमी देखने में आई है, जो वित्तीय वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही के 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से वित्तीय वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में नीचे गिरकर 5.9 प्रतिशत हो गई। इसी प्रकार विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत से गिरकर 0.6 प्रतिशत हो गई। विकास दर सभी क्षेत्रों में घटी हो, ऐसा नहीं है। जिन- जिन क्षेत्रों में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएँ चलायी जा रही हैं, उन क्षेत्रों में विकास दर में अच्छी वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है। यथा, बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य उपयोगी सेवाओं में वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत से बढ़कर 8.6 प्रतिशत हो गई। साथ ही, व्यवसाय, होटल, यातायात, संचार एवं ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं में वृद्धि दर 6 प्रतिशत से बढ़कर 7.1 प्रतिशत हो गई। आर्थिक विकास की दर में कमी केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई अन्य देशों में भी देखने में आई है। यह अमेरिका एवं चीन के मध्य व्यापारिक युद्ध से शुरू होकर यूरोपीय देशों एवं दक्षिण पूर्वीय देशों में फैली है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वाहनों की बिक्री एवं विनिर्माण क्षेत्र में आई कमी के चलते वर्ष 2019 में विश्व में आर्थिक विकास दर मात्र 3.2 प्रतिशत होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है, जो वर्ष 2017 में 3.8 प्रतिशत थी। विकास दर में आ रही कमी को सरकार ने गम्भीरता से लिया है एवं इसे सुधारने कि दृष्टि से विभिन्न औद्योगिक संस्थानों, बैंकरों, अर्थशास्त्रियों आदि से वित्त मंत्री महोदय द्वारा चर्चा करने के उपरांत कई उपायों की घोषणा लगातार की जा रही है। किसानों की क्रय शक्ति में सुधार करने के उद्देश्य से प्रधान मंत्री किसान योजना के अंतर्गत 14.7 करोड़ किसानों को रुपए 6000 प्रतिवर्ष उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल रुपए 87,600 करोड़ की राशि किसानों को उपलब्ध करायी जाएगी। दिनांक 26.08.2019 तक लगभग 7 करोड़ किसानों को दो किश्तों का भुगतान किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, महात्मा गांधी राष्टीय ग्रामीण रोजगार गारंटी ऐक्ट के अंतर्गत भी ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इस वर्ष मानसन की वर्षा सामान्य से अधिक रही है, जिसके कारण खरीफ एवं रबी, दोनों ही फसलों में अच्छी वृद्धि देखने को मिल सकती है। अतः किसानों के हाथों में पैसा आएगा. जिससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी। केंद्र सरकार द्वारा, संसदीय चुनावों के चलते, वित्तीय वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में पूँजीगत खर्चे की मद में तुलनात्मक रूप से बहुत कम खर्च किया गया ।जबकि पूरे वर्ष में रुपए 338,569 करोड की राशि इस मद में खर्च की जानी है। जोकि वर्ष 2014-15 में खर्च की गई राशि रुपए 196,681 करोड से काफी अधिक है। अब इस मद पर खर्चे को केंद्र सरकार को प्राथमिकता देनी होगी। हमारे देश के उत्पाद को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए. उसके समस्त घटकों की लागत को कम कि जाने कि आवासी। सरकार द्वारा इस ओर भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। यथा. पँजी की लागत कम करने के लिए बैंकों द्वारा ऋगों पर ब्याज दरों में कमी की जा रही है,