कश्मीरियों को भा रहा है अमन चैन का माहौल


 


 


जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने और राज्य के हालात को नियंत्रण में रखने के लिए कछ पाबंदियां लगाये जाने को अब एक महाना पूरा हा गया हैदश म एक महीना पूरा हो गया है। देश में एक झडा आर एक सावधान हान पर हर झंडा और एक संविधान होने पर हर भारतवासी गर्व महसूस कर रहा है। यकीनन कश्मीर में इस एक महीने यकीनन कश्मीर में इस एक महीने में हमारे सुरक्षा बलों ने जो धैर्य, साहस और कड़ा परिश्रम करके दिखाया है उसकी तारीफ की जानी चाहिए। जो लोग अनुच्छेद 370 या 35-ए को हटाने पर %आग लग जाने% जैसी बडी-बडी चेतावनियां दिया करते थे उन्हें देखना चाहिए कि अनुच्छेद 370 उन्हें देखना चाहिए कि अनच्छेद 370 और 35-ए हटने के बावजद जम्म- कश्मीर में हालात नियंत्रण में हैं. कछ पाबंदियों के चलते आम लोगों को परेशानी जरूरी हई है लेकिन इस एक महीने के दौरान कोई असैन्य व्यक्ति हताहत नहीं हआ है और कानन व्यवस्था की स्थिति में पहले से सधार हआ है। जो कश्मीर अनेकों प्रयासों के बावजद आतंकवाद से मक्त नहीं हो पा रहा था वहां आतंकवादियों की कमर लगातार ट्टती जा रही हैकश्मीर के इस एक महीने की घटनाओं पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि आतंकवादी मारे नहीं अब जिंदा पकड़े जा रहे हैं और यह उनको मारने से ज्यादा बडी सफलता है। जम्म- कश्मीर पुलिस ने भी कहा है कि आतंकवाद विरोधी काननों के सख्त होने और परे जम्मू-कश्मीर में लाग होने का भी असर है कि आतंकवादी अब आत्मसर्पण कर रहे हैं। लोगों को हो रही दिक्कतों की बात करें तो ज्यादातर लोग संचार सेवाओं के बाधित होने की वजह से परेशान हैं। वाकई आज के इस युग में फोन जरा-सी देर बंद हो जाये तो जैसे सबकुछ बंद हो जाता है और कश्मीर के अधिकतर भागों में संचार सेवाएं एक महीने से बाधित हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से इस बात के इतजाम इंतजाम किये गये कि लोग अपनों का हालचाल जान सकें। यहाँ एक सवाल उठाना जरूरी हो जाता है कि जो लोग टेलीफोन लाइनें बंद हो जाने से परेशानी की बात कर रहे हैं उन्हें जरा यह भी देखना चाहिए कि हमारे सुरक्षा बल महीनों तक बिना फोन के कश्मीर के दुर्गम इलाकों फोन के कश्मीर के दर्गम इलाकों में तैनात रहते हैं। ना तो उनके घर वाले यह जान पाते हैं कि उनका लाल कैसा है ना ही वह जान पाते हैं कि उनके परिजनों का हाल कैसा है। एक महीने संचार सेवाएं बाधित होने से कुछ लोगों को परेशानी जरूरत हुई लेकिन इस सुविधा के बाधित होने का ही नतीजा है कि इससे कश्मीर में अफवाहों पर लगाम लगी है और शरारती तत्वों की ओर से किया जाने वाला दुष्प्रचार बंद हुआ है। इस सबकी वजह से घाटी की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। अगस्त से पहले की घटनाओं यानि यदि इसी वर्ष की जुलाई अंत तक की घटनाओं पर नजर डाल लें तो कश्मीर में पुलवामा जैसा गंभीर हमला हुआ और उसके अलावा भी कई भीषण आतंकवादी हमले हुए जिसमें हमारे कई सुरक्षा बलों को अपनी शहादत देनी पड़ी। लेकिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने के बाद से हालात में बदलाव आया है और हालात में बद सीमा पर पाकिस्तान की ओर से किये जाने वाले संघर्षविराम उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब देने के दौरान हमारे कुछ जवान जरूर शहीद हुए लेकिन आतंकी घटनाओं में हमारे जवानों की मौत का सिलसिला थमा है। जो लोग मोदी सरकार को आलोचना की नजर से देख रहे हैं उन्हें जरा यह भी देखना चाहिए कि इससे पहले कौन- सी ऐसी सरकार थी जिसने कश्मीर की इतनी चिंता की कि हर गांव से 5 लोगों को सरकारी नौकरी दिये जाने की बात कही हो, सरपंचों का दो लाख रुपये का बीमा कराये जाने की बात कही हो, स्थानीय पंचायतों को ज्यादा अधिकार और फंड सीधा मुहैया कराया हो। जम्मू-कश्मीर के स्कूलों, अस्पतालों में पहले से ज्यादा सुरक्षा और सुविधाएं हैं, फ्लाइटों का संचालन हो रहा है और बैंक एटीएम सही तरह से काम कर रहे हैं। सिर्फ सरकार ही नहीं हमारे देश का उच्चतम न्यायालय भी जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर पूरी नजर रखे हुए है। जो भी लोग अदालत के पास जा रहे हैं उनकी परी बात सुनी जा रही है। कोई अपने परिजन से मिलना चाहता है तो उसे मिलने दिया जा रहा है, कोई इलाज के लिए दिल्ली आना चाहता है तो उसे दिल्ली लाया जा रहा है। घाटी में हालांकि अलगाववादी और आतंकवादी पूरी तरह पस्त पड़ गये हैं, ऐसा भी नहीं है क्योंकि कई जगह ऐसे संदिग्ध पोस्टर नजर आये जो 'असैन्य कर्फयू' की बात करते हैं और लोगों से'सविनय अवज्ञा' करने को कहते है।गत सप्ताह अपनी दुकान खोलने वाले एक व्यक्ति की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी जिसके बाद लोगों में डर भी है। राज्य में लगभग महीने भर से पूर्व मुख्यमंत्री- फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत मुख्यधारा के कई नेता हिरासत में चल रहे हैं। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के करीब 60 शीर्ष नेताओं को घरों, गेस्टहाउस और होटलों में हिरासत में रखा गया है। कुछ को राज्य और राज्य की बाहर की जेलों में भी रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि 400 राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है। राज्य की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग पर टिकी हुई है इसलिए कश्मीर में पाबंदियों के चलते यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने से कुछ दिन पहले राज्य सरकार ने सभी सैलानियों से घाटी छोड़ देने को कहा था, उस समय करीब 20 से 25 हजार सैलानी घाटी में मौजूद थे। तब से घाटी में कोई सैलानी नहीं आया है। इस स्थिति से नुकसान सिर्फ होटल कारोबारियों को नहीं हो रहा है बल्कि टूर ट्रैवल्स एजेंट, हाउसबोट के मालिक, शिकारावाला, टैक्सी ऑपरेटर और टूरिस्ट गाइडों के सामने भी रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो गया है। दूसरी ओर जम्मू और लद्दाख की बात करें तो यहाँ लैंडलाइन फोन की सेवा और कुछ हद तक मोबाइल सेवा की बहाली के बाद हालात अपेक्षाकृत बेहतर हैं। घाटी के विपरीत,वहां हाल ही में लद्दाख समारोह संपन्न हुआ। केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने इस अवसर पर लद्दाख का दौरा कर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के विकल्प तलाशे। केंद्र सरकार की योजना है कि लेह, कारगिल और लद्दाख में पर्यटन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाये। जम्मू-कश्मीर में शांति कायम रहे और यह स्थायी रूप ले, ऐसी कामना हर भारतीय करता है लेकिन पाकिस्तान को यह सब चूँकि नागवार गुजर रहा है इसलिए वह सीमापार से आतंकियों की घसपैठ करा कर राज्य की शांति को भंग करना चाहता है। लेकिन हमारे सरक्षा बलों की चौकस निगाहों से किसी भी आतंकी का बच निकलना मुश्किल है। सेना की 15वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.एस. ढिल्लन ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनीर खान की मौजदगी में प्रेस ब्रीफिंग में दो वीडियो भी चलाये जिनमें पकडे गये पाकिस्तानियों को घुसपैठ की बात कबलते हए देखा जा सकता है। वीडियो क्लिप में पकडे गये पाकिस्तानी नागरिकों ने खद की पहचान मोहम्मद खलील और मोहम्मद नाजिम के तौर पर की है जो पाकिस्तान के रावलपिंडी इलाके के रहने वाले हैं। मोहम्मद नाजिम को चाय पीते हुए यह कहते सुना जा सकता है."पाकिस्तान की सेना ने हमें जम्मकश्मीर में घसने में बहत मदद की ।